भारतीय रॉबिन हुड के नाम से मशहूर, शहीद जननायक टंट्या भील, जिनके नाम से अंग्रेजी हुकूमत कांपती थी। निमाड़ के लोग कहते हैं कि जब अंग्रेजों के अत्याचार अपने चरम पर थे, तब टंट्या भील गरीब और शोषितों के लिए एक मसीहा बनकर उभरे। इस क्षेत्र में उन्हें प्यार से "टंट्या मामा" कहा जाता है।
टंट्या मामा की पुण्यतिथि 4 दिसंबर को है। उनका जन्म खंडवा जिले के पंधाना विधानसभा क्षेत्र के गांव बड़ोदा अहीर में हुआ था। आज भी उनके वंशज वहीं निवास करते हैं। मध्यप्रदेश शासन ने लगभग 10 वर्ष पहले यहां ढाई करोड़ रुपये की लागत से एक भव्य स्मारक बनवाया है, जहां उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित है।
वीवो:- हर वर्ष टंट्या मामा के जन्मदिवस 4 अप्रैल से पहले यहां पांच दिवसीय मेले का आयोजन होता था, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामूहिक विवाह जैसे आयोजन शामिल होते थे। हालांकि, कोविड के समय से यह मेला बंद हो गया। इस वर्ष, उनकी पुण्यतिथि पर एक दिवसीय मेले का आयोजन जनपद पंचायत पंधाना द्वारा किया जा रहा है। इसमें दिन में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे, जबकि रात में "निमाड़ी गम्मत प्रतियोगिता" का आयोजन किया जाएगा।
सोनी बाई, टंट्या मामा की चौथी पीढ़ी की वंशज
हमारे पूर्वज टंट्या मामा को मानने वाले आज भी चाहते हैं कि उनका जन्मदिवस बड़े पैमाने पर मनाया जाए। पहले यहां 5 दिन का मेला लगता था, जिसमें मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सामूहिक विवाह होते थे। कोविड के बाद से मेले और कार्यक्रमों पर रोक लग गई। इस साल फिर से एक दिन का आयोजन हो रहा है, लेकिन यह पर्व पांच दिनों का होना चाहिए।
पंधाना क्षेत्र की विधायक छाया मोरे ने कहा, "टंट्या मामा के जन्मस्थान को हम क्षेत्रवासी मंदिर की तरह मानते हैं। उनकी पुण्यतिथि पर एक दिवसीय कार्यक्रम हो रहा है। लेकिन मैं मुख्यमंत्री और संस्कृति मंत्री से मिलकर प्रयास करूंगी कि टंट्या मामा के जन्मदिवस पर सप्ताहभर का मेला और भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाए। वे हमारे गरीबों के भगवान थे, और यह आयोजन उनके प्रति हमारी श्रद्धांजलि होगी।"
जननायक क्रांतिसुर्य टंट्या भील वह नाम था जिसे सुन कर अंग्रेज अफसर कांप जाते थे, टंट्या मामा का खौफ जितना अंग्रेजों मे था उतना ही गरीब उनसे प्रेम करते थे वे भारत के रॉबिन हुड के नाम से जाने जाते थे, आज भी क्षेत्र के लोग टंट्या मामा की वीरता के किस्से कहानियों मे गाँवो की चौपलों पर सुने सुनाये जाते हैं, खंडवा जिले मे उनके नाम से जिला जेल का नामकरण शहीद जननायक टंट्या भील जेल किया गया हैं, जिले के कई गाँवो एवं कसबों मे टंट्या मामा की प्रतिमाये जनसहयोग से लगाई गई हैं, क्षेत्र के जनजातीय समाज के लोग उन्हें अपना भगवान मानकर पूजते हैं।