वैसे तो कांग्रेस के द्वारा प्रदेश अध्यक्ष या फिर केंद्रीय कमेटी के द्वारा उठाए गए मुददों पर अपना प्रदर्शन देवास जिले में करती रहती है लेकिन क्या देवास में कांग्रेस जनहितों के मुद्दों को दरकिनार कर रही है
पहला मामला देवास शहर में हुवे अग्निकांड का है जिसमें चार लोगों की जान चली गई थी व दूसरा देवास शहर में खेड़ापति सरकार की प्रभातफेरी को शहर में गन्दगी में से निकलना पड़ा
वैसे देखा जाय तो वर्तमान में देवास शहर अध्यक्ष के साथ अभी उनकी कांग्रेस की की टीम देवास शहर में कांग्रेस के विभिन्न पदों पर काबिज है
देवास शहर में विगत 40 सालो कांग्रेस में जितनी भी नियुक्तियां हुई है वे सभी प्रदेश संगठन या दिल्ली दरबार में बैठे प्रदेश के नेताओं के द्वारा अपने अपने समर्थकों को बैठाया गया है इस कारण से जहां देवास शहर के साथ ही देवास जिले का एक सामान्य कार्यकर्ता अपनी हुई उपेक्षा के कारण खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है वहीं अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर वह अन्य राजनीतिक दलों की ओर जा रहा है
इस बार भी नगरीय निकाय के चुनावों में व अन्य चुनावो में अपनी जगह दूसरे को चुनाव लड़ता देख कांग्रेस के संघठन से कांग्रेस का आम कार्यकर्ता दूर हो रहा है
यदि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए जिसमें देवास शाजापुर लोकसभा सीट पर सज्जन सिंह वर्मा ने भाजपा के थावरचंद गेहलोद को हरा कर सीट जीती थी
नगर पालिका निगम के महापौर चुनाव में कांग्रेस की रेखा वर्मा ने भाजपा की बबली यादव को हराया था
एवम जिला पंचायत चुनाव में भी श्रीमती लीला भेरूलाल अटारिया ने जीत हासिल की थी लेकिन कांग्रेस उनको भी सँभाल नही सकी
ऒर वो भी अंदरूनी लड़ाई के चक्कर में भाजपा में शामिल हो गई उसके साथ ही कई और भी कांग्रेस के नेताओं ने भाजपा में प्रवेश कर लिया
वैसे देवास शहर में चार ब्लाक अध्यक्ष है और विभिन्न प्रकोष्ठों के भी पदाधिकारी अपने पदों पर मौजूद हैं कई लोगों को एक से अधिक पदों पर बैठाया गया है जिससे भी जमीनी कार्यकर्ता रूठे हुवे है साथ ही जब कार्यकर्ताओं को जब अपने नेताओं से सहयोग प्राप्त नही होगा तो निश्चित ही वह निराश होकर दूसरे दलों की ओर जाएगा
देखा जाए तो वर्तमान में भी देवास नगर पालिका निगम में भी कांग्रेस के पार्षदों की संख्या काफ़ी कम हो गयी है और वहाँ पर भी नेता प्रतिपक्ष शहर अध्यक्ष के खेमे के है अभी युवक कांग्रेस अध्यक्ष पद पर हुई पंकज वर्मा की नियुक्ति से भी देवास जिले के साथ देवास शहर के कांग्रेसी नेताओं को एक उम्मीद है कि इस बार हमारा भी नम्बर आएगा
वैसे भी हाल फिलहाल देवास जिले व शहर में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ गुट काबिज है उसको चुनौती देने का का प्रयास देवास जिले में मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समर्थक कर रहे हैं
लेकिन यह भी कटु सत्य है कि देवास जिले में यदि कांग्रेस गुटबाजी में नही बटी होती तो देवास जिले में ऐसी स्तिथि नही होती देखना होगा की प्रदेश कांग्रेस कमेटी ओर केंद्रीय कांग्रेस कमेटी मध्यप्रदेश में अपने संगठन को किस प्रकार मजबूत कर पाते है या फिर वही पुरानी परंपरा के साथ सीधे नियुक्तियां की जाएगी ।
आरोप है कि एक व्यक्ति को दो दो पदों पर बैठाया गया है