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राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से आदर्श का हुआ निःशुल्क उपचार, जन्मजात विकृति से मिला छुटकारा

 राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से आदर्श का हुआ निःशुल्क उपचार, जन्मजात विकृति से मिला छुटकारा





     देवास 05 दिसम्बर 2024/ राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से देवास के आदर्श को जन्मजात विकृति से छुटकारा मिला है। आदर्श के माता-पिता कन्नौद विकासखण्‍ड के ग्राम सेरगोना के निवासी है और आदर्श का जन्म कन्नौद के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में हुआ था। बच्चा जन्म से ही जन्मजात विकृति (क्लबफुट रोग से ग्रशित था) इस प्रकार के मुडे हुए पैर देखकर उसकी मां और पूरा परिवार स्तब्‍ध और चिंतित था। इस प्रकार के अनेक सवाल उसके मन में उठने लगे तभी प्रसव केन्द्र में पदस्थ नर्सिग ऑफिसर द्वारा आर.बी.एस.के दल को बच्चे की जानकारी दी चिकित्सक जांच कर परिजनों बताया कि आप चिंता न करे आरबीएसके कार्यक्रम अंतर्गत बच्चे का पूर्ण उपचार निःशुल्क होगा आपका बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जायेगा।


     बच्चे को 21 दिन का होने के बाद जिला चिकित्सालय में संचालित डीईआईसी में श्रीमती ज्योति आहिरे डीआईसी मैनेजर को बच्चे की जानकारी दी इनके द्वारा आरबीएसके कार्यक्रम के अंतर्गत पंजीयन कर निःशुल्क उपचार के लिए जिला चिकित्सालय देवास के अस्थी रोग विशेषज्ञ डॉ जगदीश नागर को दिखाया उपचार के दौरान बच्चे को प्लास्टर लगाए गए व प्लास्टर के बाद एवं छोटी सी सर्जरी की गई। सर्जरी उपरांत बच्चे को विशेष प्रकार के शुज उपलब्ध कराए गए, जिससे बच्चे के मुडे हुए पैर नार्मल हो जायेंगे सामान्य बच्चो कि तरह स्वस्थ होगा।


     देवास जिले में आरबीएसके कार्यक्रम के अंतर्गत जन्मजात विकृति (क्लबफुट) मुडे हुए पैर के बच्चे 01 अप्रैल 2024 से अब तक कुल 49 बच्चों का चिन्हाकंन कर 49 बच्चों का निःशुल्क उपचार कराया गया है। शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं में जन्‍म से 18 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क जांच एवं उपचार कराने हेतु राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) एक महत्वपूर्ण पहल है जिसका लक्ष्य जन्म से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए 4 डी यानी 4 डी, को कवर करने के लिए प्रारंभिक पहचान और प्रारंभिक हस्तक्षेप करना है। जन्म के समय दोष, कमियां, रोग, विकलांगता सहित विकास में देरी। इसके तहत जिले एवं विकासखण्ड स्तर पर आर.बी.एस.के टीम द्वारा आंगनवाडी केन्द्रों और स्कूल में जाकर बच्चों का परीक्षण किया जाता है। जन्मजात विकृति की पहचान कर जांच उपरांत शासकीय एवं शासन से अनुबंधित प्रायवेट अस्पतालों मे निःशुल्क उपचार किया जाता है।