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देवास के नाम पर 9 मार्च एक कभी न मिटने वाला दाग जहां उत्साहित लालो ने कानून का मखौल उड़ाते हुए ज8त के जश्न में की मर्यादा पार

 वैसे तो भारत की जीत पर पूरे देश सहित विश्व भर में रहने वाले हर भारतीय ने भारत की जीत का जश्न मनाया लेकिन भारत के ह्रदय में स्तिथ मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में जो जश्न जनता के बीच मे आये हुड़दंगियों ने मनाया उसको लेकर कई सवाल पैदा हो गए हैं

1, देवास ,इंदौर, उज्जैन व महू में जो भी हुआ क्या उसकी भनक

लोकल इंटेलिजेंस को नही थी

2,तीन जगहों पर एक ही तरीके से हुड़दंगियों ने उत्पात मचाया

3,इंदौर में तो एक पुलिस के आरक्षक ने हुड़दंगी को पकड़ा तो जनता ने उसे पुलिस के हवाले किया

4,महू में हुई हिंसा क्या पहले से निर्धारित थी 

5,देवास में भीड़ नियंत्रित करने गए पुलिस से किन लोगों ने अभद्रता की

6, पुलिस के आरक्षकों ने बिना जाँच के व्यापारी को पीटा

7, हुड़दंगियों को पकड़ने के बाद उनसे अमानवीय व्यवहार किया गया साथ मे जुलूस निकाला

8,पुलिस के साथ कि गई अभद्रता के लिए जो भी जिम्मेदार है उन पर कार्यवाही की जानी चाहिए

9,क्या जश्न मना रही जनता के बीच मे शरारती तत्वों ने इस कार्य को अंजाम दिया गया

10,क्या पुलिस व प्रशासन को नही जानकारी थी की भारत की जीत के बाद कहा पर जश्न मनाया जाएगा

11,जश्न के दौरान महिलाओं व युवतियों को वहाँ से गुजरने में डर लग रहा था

12,ऐसे कौन आतिशबाजी करता है कि जनता की ओर पटाखे छोड़े जाए


यदि उस समय पुलिस व प्रशासन समझदारी से कम लेता तो यह घटना टाली जा सकती थी क्योंकि इसके पहले भी वहाँ पर कई बार जश्न मनाया गया था

साथ ही मात्र कोतवाली पुलिस ही पहुंच पायी थी ऐसा कभी नही हुआ कि देवास शहर में कोई आयोजन हो तो अन्य थानों से भी बल पहुंच जाता है साथ ही उस दौरान वहां से निकलने वाले वाहनों को भी जगह नही दी जा रही थी 

ट्रैफिक पुलिस नदारद थी जबकि यातायात पुलिस को वहां पर होना चाहिये था जब कोतवाली पुलिस वहां से जा रही थी तो पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों से अभद्रता व गाड़ी पर पथराव किया गया था

 मध्यप्रदेश में 20 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है लेकिन पुलिस व प्रशासन को यह भी याद रखना चाहिए कि एक समय में यह सिमी का गढ़ माना जाता था आज भी मध्यप्रदेश में कई स्लीपर सेल मौजूद  हो सकते हैं महू में जो हिंसा की गई थी उसके वीडियो सामने आ रहे हैं

साथ ही जहां जहां पर भारतीय जनता पार्टी की सरकारें है वहाँ पर ऐसी प्रकार से प्रयोग किया जाता है


         तीन दिन पहले क्रिकेट में भारतीय टीम की विजय के उत्साह के अतिरेक में सड़कों पर निकली भीड़ ने मालवा के माहौल को तनाव से भर दिया । महू के दंगों के साथ ही उज्जैन और देवास में भी हुड़दंगियौ ने अनियंत्रित तरीकों से 

पटाखे चला कर भीड़ पर उछाले । महिलाओं से छेड़खानी की और जब पुलिस ने इन्हें नियंत्रित करने की कोशिश की तो भीड़ ने थाना इंचार्ज के साथ भी 

अभद्रता करते हुए उनके वाहन में भी तोड़फोड़ की कोशिश की । 

     उन्मादी भीड़ को अपने बल के साथ नियंत्रित करने वापस लौटी पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों के फुटेज के आधार पर कुछ लोगों को न सिर्फ गिरफ्त में लिया बल्कि उन्हें गंजा कर उनका जुलूस भी निकाला । इन सब कार्यवाही के दौरान कुछ लोगो को भी पुलिस के खौफ का शिकार बनना पड़ा और उसके बाद शुरू हुई राजनीति के चलते 

एक आरक्षक को तुरंत लाइन अटैच भी कर दिया गया साथ ही अन्य दो आरक्षक के साथ कोतवाली थाना प्रभारी को विधायक महोदया के पुलिस अधीक्षक से मिलने के बाद लाइन अटैच किया गया

     बीते तीन दिन तमाम घटनाक्रम को लेकर लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय बने रहे । पुलिस की कथित निर्दोषों के साथ हुई कार्यवाही पर एक और जहाँ भाजपा नेता मनीष सेन ने आवाज उठाई वहीं विधायक श्रीमती गायत्री राजे पवार ने भी पुलिस अधीक्षक से इस मामले में चर्चा कर निर्दोषों पर कार्यवाही का विरोध किया और उन्हें रिहा किये जाने की मांग की जिसपर आज उन्हें रिहा भी कर दिया गया । पुलिस अधीक्षक ने पूरे मामले में एक सप्ताह में दोषियों को चिन्हित करने और अपराधियों को सामने लाने की बात कही है ।

      निसन्देह पुलिस के द्वारा जिस निर्दोष पर कार्यवाही कर पिटाई की गई है उसको पुलिस व प्रशासन के द्वारा मदद की जानी चाहिए बिना अनुमति के यदि पुलिस ने जबरन पीटा है तो पीटने वाले लोगों पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए साथ ही जश्न के दौरान जिन हुड़दंगियों ने उत्पात मचाया था उन पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए बाल काटने व जुलूस निकालने को रोका जाना चाहिए पुलिस कार्यवाही करें लेकिन मर्यादित तरीके से

कुछ लोग ऐसा भी बता रहे हैं कि कोतवाली थाना प्रभारी देवास की राजनीति का शिकार हो गये

निस्संदेह थाना कोतवाली पुलिस के प्रभारी ने शहर में कई अच्छी कार्यवाही की लेकिन निर्दोष व्यक्ति को पीटना ओर पकड़े गए लोगों से


अमानवीय व्यवहार के आरोप उन्हें सन्देह में लाते हैं

पुलिस का कहना है कि हमने उनको जांच के बाद ही पकड़ा है लेकिन लोग कह रहे हैं कि पुलिस ने गंजा किया पुलिस की सफाई है कि ये लोग खुद ही पहचान छिपाने के लिए खुद ही गंजे हुए हैं और ऐसा पहले भी हुआ है कि आरोपियों के द्वारा पहचान छुपाने के लिए अपना हुलिया बदल लिया था
लेकिन यह गलत रीति न बन जाये कि पुलिस अधिकारी की गाड़ी व उनसे झूमाझटकी करने वाले लोगों को पुलिस को रिहा करना पड़े 
खैर पुलिस अधीक्षक ने जांच बैठा दी है अब जांच के बाद ही पता चलेगा कि कोन दोषी है और जो भी दोषी हो उसको सजा जरूर मिलना चाहिए