देवास। देवास में अनेक मौतों के कारण चर्चित ब्रिज के संबंध में एक पत्रकार वार्ता का आयोजन निजी कार्यालय पर आयोजित किया गया। आयोजक धर्मेंद्र सिंह कुशवाह, साधना प्रजापति और सैयद सादिक अली ने वार्ता में बताया कि ब्रिज को लेकर आम जन में बहुत सी भ्रांतियां फैलाई गई है। ब्रिज के संबंध में केंद्र सरकार को की गई शिकायत राज्य सरकार को स्थानांतरित होने के बाद बिना निराकरण के बंद कर दी गई। ब्रिज बनाए जाने की स्वीकृति भोपाल चौराहे से लेकर इंदिरा गांधी चौराहे तक हुई थी ब्रिज निर्माण के लिए जारी निविदा दिनांक 12 मार्च 2020 को भी स्थल के रूप में भोपाल चौराहे से लेकर इंदिरा गांधी चौराहे तक का ही उल्लेख है। इसमें यह बात महत्वपूर्ण है कि इस निर्माण की राशि केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई और इसका निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा किया गया। अपने निजी स्वार्थ और भ्रष्टाचार के साथ कमीशनखोरी के लिए ब्रिज को स्वीकृत स्थान से लगभग 2 किलोमीटर दूर राम नगर से बावड़ियां तक बना दिया गया। ब्रिज का निर्माण कार्य जिस समय शुरू किया गया था उस समय कोरोना गाइड लाइन जारी की गई थी जिस में समस्त प्रकार के निर्माण कार्य प्रतिबंधित थे। इसके अलावा स्थानीय व्यापारियों और कुछ नेताओं ने भी विरोध किया था लेकिन तत्कालीन कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला द्वारा कोरोना काल, लॉक डाउन में अपने पद का रोब दिखा कर सभी विरोध करने वाले व्यापारियों को डरा कर विरोध को दबा दिया गया था।
ब्रिज के निर्माण होने के बाद 28 अप्रैल 2023 में ब्रिज की विधिवत लोकार्पण वर्चुअल तरीके से तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किया गया। ब्रिज पर आवागमन शुरू होने के एक हफ्ते में ही दुर्घटना हुई और मौके पर ही मौत भी हुई थी। इसके बाद से मौत का सिलसला शुरू हुआ और इस पर 30 से ज़्यादा दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
दिनांक 18 जनवरी 2025 को एक एक्सीडेंट में ऋषभ पटेल की मौत होने के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने ब्रिज को बंद किया था और उसके बाद तत्कालीन कलेक्टर ऋषभ गुप्ता ने ब्रिज पर बिना किसी तकनीकी सर्वे के डिवाइडर बनवा दिए थे और अब ब्रिज पर वापस आवागमन शुरू होना था लेकिन ब्रिज की स्थिति, आवागमन के सीमित जगह और दुर्घटनाओं की संभावनाओं को देखते हुए विरोध स्वरूप सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आमरण अनशन की अनुमति अनुविभागीय दंडाधिकारी से चाही थी लेकिन उनके द्वारा धारा 163 का हवाला देते हुए अनुमति देने से मना कर दिया।
अनशन की अनुमति न मिलने के कारण सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पत्रकारों के समक्ष बताया कि ब्रिज गलत जगह बनाया गया है जिस के दस्तावेज भी हम आपको दिखा रहे हैं। टेंडर की प्रति के अलावा ब्रिज पर लाइटिंग केलिए निकाले गए टेंडर भी भोपाल चौराहे से इंदिरा गांधी प्रतिमा तक ही लगाए गए हैं जो कि कागजों में ही हैं। इसके अलावा केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी अपने पत्र में ब्रिज को भोपाल चौराहे से इंदिरा गांधी चौराहे तक बनाना ही बताया है। जनवरी 2025 को पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक जोशी को दिए जवाब में भी ब्रिज की जगह भोपाल चौराहा ही बताया गया है। अब प्रश्न यह उठता है कि जब कागजों पर ब्रिज अपने निर्धारित स्थान पर बना है तो उसके स्थान परिवर्तित करने से जो मौत हुई हैं इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? ब्रिज के निर्माण में जो धांधली हुई, 102 करोड़ की राशि का दुरुपयोग हुआ उसकी भरपाई कैसे होगी? ब्रिज को अपने नियत स्थान पर वापस बनवाने जैसे मुद्दों के लिए हम शांतिपूर्ण तरीके से अनशन करने वाले थे लेकिन प्रशासन ने उसकी भी अनुमति हम को नहीं दी। अब हम दस्तावेज मीडिया को उपलब्ध करवा कर मांग करते हैं कि इस हत्यारे ब्रिज पर आवागम शुरू न किया जाए। यदि इस ब्रिज पर आवागमन शुरू किया जाए तो संबंधित अधिकारियों से लिखित सहमति ली जाए कि अब होने वाली दुर्घटनाओं को जिम्मेदारी उनकी होगी क्योंकि गलत जगह पर बनने के अलावा इस ब्रिज में तकनीकी खामियां भी थी और अब उसके बीच डिवाइडर बना कर उन खामियों को और बढ़ा दिया गया है जिस से दुर्घटनाओं और मौतों का ग्राफ और बढ़ेगा। आमरण अनशन की अनुमति न मिलने के कारण उसके अगले चरण में कलेक्टर महोदय को अपील की जाएगी और न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा।